एक दिन बेटी को घर पर नहीं पाया, चहचाहती चिड़िया सी उसकी मुस्कान देख ना पाया, पापा पा एक दिन बेटी को घर पर नहीं पाया, चहचाहती चिड़िया सी उसकी मुस्कान देख ना पाया,...
कभी हुई तार-तार एहसासों से हार-हार, व्यर्थ शब्दों की अंतहीन कतार हुई जिंदगी... कभी हुई तार-तार एहसासों से हार-हार, व्यर्थ शब्दों की अंतहीन कतार हुई जिंदगी...
देश की माटी तिलक करे जो, वो ही मेरा मीत सखी। देश की माटी तिलक करे जो, वो ही मेरा मीत सखी।
पता नहीं सार्थकता निरर्थक हो गयी है या निष्प्रयोजयता प्रयोज्य। पता नहीं सार्थकता निरर्थक हो गयी है या निष्प्रयोजयता प्रयोज्य।
ये कविता हर इंसान के लिए है, महज़ लड़कियों के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए, जो सांस ले रहा है, जी रहा ... ये कविता हर इंसान के लिए है, महज़ लड़कियों के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए, जो सां...
रूपांतरित कर देना का सब कुछ खुद सा सब कुछ स्वीकार करते हुये। रूपांतरित कर देना का सब कुछ खुद सा सब कुछ स्वीकार करते हुये।